Anju Dixit

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लेखनी प्रतियोगिता -13-Mar-2022चाँदनी

 यह बिखरी चाँदनी  कुछ तो इशारा कर रही,

उनकी सादगी उन्हें हमारा कर रही है।

यह चाँद भी गुम है चाँदनी के आगोश में,
चाँद की  बहकी तबीयत बयान यह नजारा कर रही है।

यूँ तो शमाँ रहता हमेशा ही रंगीन,
आज यह चाँदनी मौसम ज्यादा प्यारा कर रही है।

देखकर हुस्न का ताजमहल उनका,
तबीयत सब्र बाली अब सब्र से किनारा कर रही है।

गजब के उसूल रखते हैं हम तो,
उसकी कातिल नजर दिल को आवारा कर रही है।

  तेरा यूँ बिछड़ जाना , मन की बस्ती क् उजड़ जाना,
तेरी यह जुदाई हालत मेरी बंजारा  कर रही है।

 चाँद के बहुत नजदीक पर , चाँद से दूर भी,
तुम्हारी यह बेरुखी हमे वो सितारा कर रही है।

तड़पते दिल को यह चाँदनी जला रही है,
तो कहीं तन्हाइयों का सहारा  कर रही

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7 Comments

Shrishti pandey

15-Mar-2022 05:49 PM

Nice

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Abhinav ji

14-Mar-2022 10:33 AM

Very nice👍

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Punam verma

14-Mar-2022 08:36 AM

Nice one

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